Sanatan Dharm kitna Purana Hai | सनातन धर्म कितना पुराना है

आज हम Sanatan dharm kitna purana hai जानेंगे वैसे सनातन धर्म इतना विशाल है कि इसकी व्याख्या या अनुवाद करना कठिन है

यह दुनिया का सबसे पुराना धर्म और मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे पुरानी आध्यात्मिक परंपरा है। इसे हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है। 

सनातन धर्म का सही समय निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि सनातन धर्म विभिन्न ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों के माध्यम से हजारों वर्षों में विकसित हुआ है।

आज के इस लेख में हम सनातन धर्म कितना पुराना है के बारे में विस्तार में जानने की कोशिश करेंगे

इतिहास के मुताबिक सनातन धर्म पृथ्वी का सबसे पुराना धर्म है। इसलिए इस बारे हम सभी को पता होना चाहिए। 

साथ ही इस लेख में सनातन धर्म का अर्थ, सनातन धर्म के संस्थापक कौन हैं, सनातन धर्म की उत्पत्ति और सनातन धर्म से संबंधित कुछ अन्य प्रश्नों पर भी हम ने चर्चा की हैं।

कुल मिलाकर इस लेख में हम ने सनातन धर्म के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देनेका प्रयास किया हैं। हर प्रश्न के उत्तर के लिए यह लेख अंत तक जरूर पढ़ना। आइए, सबसे पहले जाने की आखिर क्या है सनातन धर्म?

 

Sanatan Dharm kitna Purana Hai 

 

sanatan dharm kitna purana hai 

विद्वानों के अनुसार सनातन धर्म सबसे प्राचीन अवधारणा है”  सनातन धर्म को आदिधर्म’ ‘सर्वधर्म’ और ‘सनातन धर्म’ के नामों से भी जाना जाता है

इसकी उत्पत्ति और अनुमान 3000 ईसा पूर्व से 15000 ईसा पूर्व तक है। इसलिए सतातन धर्म कितना पुराना है यह अनुमान लगाना मुश्किल है।

 

sanatan dharm kitna purana hai 

 

‘शाश्वत सत्य” या “सदा बना रहने वाला” अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। यह सनातन धर्म शब्द का अर्थ हैं। सनातन धर्म के अनुयायी आम तौर पर खुद को सनातनी कहते हैं।

देखजाये तो संस्कृत में, सनातन धर्म का अनुवाद “सनातन कानून / नियम” या, कम शाब्दिक रूप से कहा जाए तो, “सनातन / शाश्वत मार्ग” होता है।

ह धर्म उन शस्वत कानूनों / नियमों के बारे में है जो हमारे जीवन को नियंत्रित करते हैं।

वास्तव में, सनातन धर्म की तुलना सवधर्म (स्वयं कर्तव्य) से की जाती है, इसका अर्थ है विशेष रूप से अपने वर्ग या जीवन के स्तर के अनुसार स्वयं का कार्य सही तरीके से करना है।

इसीलिए कहा जाता है की, सनातन धर्म हमें सही और गलत की पहचान करना सिखाता है,

  • क्या सही है इसका चुनाव कैसे करें?
  • या फिर कैसे पता चलेगा कि क्या सही है?
  • उन्होंने कैसे तय किया कि क्या गलत है या सही है?

आपको बता दें, की हमारा विवेक हमें बताता है कि क्या सही है और क्या गलत। 

हम नैतिक बैरोमीटर से सुसज्जित हैं जो हमें सही दिशा देता है। फिर भी अगर कुछ मामलों में, जब वास्तविक संदेह होता है तो भगवद गीता, रामायण या धर्म शास्त्र जैसे ग्रंथ मददगार साबित होते हैं। कहा जाता है की इसमे हर सवाल का जवाब है। 

वैज्ञानिकों व रिसर्च के मुताबिक सनातन धर्म लगभग ६५००००० हजार वर्ष पुराना है। और अन्य तथ्यों के अनुसार यह लगभग ९० हजार वर्ष प्राचीन है।

धर्म के संस्थापक के अनुसार, सनातन धर्म का कोई संस्थापक नहीं है, लेकिन हर काल में कई भगवान या ऋषियों ने सनातन धर्म की स्थापना की है।

कहा जाता है कि शुरुआत में अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा इन्होंने ज्ञान प्राप्त कर के वेदों की ऋचाओं (श्लोकों या मंत्रों) को रचा था।

और उसके बाद समय के साथ – साथ अन्य ऋषियो के ऋचाओं (श्लोकों या मंत्रों) को वेदों में सम्मिलित किया गया।

देखते ही देखते श्री कृष्ण तक इस धर्म के कई संस्थापक हुए। और बुध काल में शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ, इन्होंने धर्म की पुन: स्थापना की।

 

सनातन धर्म के नियम क्या है?

अलग-अलग ग्रंथ कर्तव्यों की अलग-अलग सूचियाँ देते हैं,

लेकिन सामान्य तौर पर सनातन धर्म में निचे प्रदान किये गुण या नियम शामिल हैं।

ईमानदारी सहनशीलता,
जीवित प्राणियों को चोट पहुँचाने से बचना आत्म-संयम,
पवित्रता इंद्रियों पर नियंत्रण,
सद्भावना क्रोध का अभाव,
दया उदारता
धैर्य तपस्या

सनातन धर्म की तुलना स्वधर्म, किसी के “स्वयं कर्तव्य” या किसी व्यक्ति को उसके वर्ग या जाति और जीवन स्तर के अनुसार दिए गए विशेष कर्तव्यों से की जाती है।

 

sanatan dharm ke niyam

 

सनातन धर्म को अपनाने से हमें रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे रहना है ! इसके बारे में धार्मिक मूल्य और सिद्धांत सिखाते हैं।

यह व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से अधिक मात्रा में सुख और समृद्धि सहन कर सकता है।

उपनिषदों में सनातन धर्म के नियम: के बारे में बात की जाए तो,

चंदोग्य तपस (तपस्या),
दान (दान),
आर्जव (सीधेपन),
अहिंसा (जीवित प्राणियों को चोट न पहुंचाना),
सत्य-वचन (सच्चाई) के पांच गुणों शामिल हैं
चंदोग्य तपस (तपस्या),

यह मुंडका उपनिषद के प्रसिद्ध ‘ ‘ सिद्धांत के समान हैं।

  • बृहदारण्यक उपनिषद तीन प्रमुख गुणों, संयम, दया (जीवित प्राणियों के लिए करुणा) और दाना (दान) की आवश्यकता पर लक्ष केंद्रित करता है।
  • कठोपनिषद बुराई का अभ्यास करने से परहेज करने की सिख सिखाता है, और दिव्य आत्म के साधक के प्रमुख गुणों के रूप में शांति और एकाग्रता की रूपरेखा देता है।
  • ऋग्वेद कहता है, “सच बोलो, सही काम करो” साथ ही, ‘आत्म-अनुशासन के अभ्यास से धर्म और सत्य का उदय हो सकता है’

 

सरल भाषा में कहे तो, सनातन धर्म के  यह नियम है; 

हिंसक मत बनो द्वेष से बचें
ज़्यादा न खाएं लालच ना करे
चोरी / बेईमानी का सहारा न लें क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार से दूर रहे
उदार बनो / दान करते रहो शांति बनाए रखें
मददगार बनें सार्वभौमिक अनुग्रह, सर्वोच्च शिक्षक और स्वयं में विश्वास रखें
सेवा भाव रखें ध्यान करें और ज्ञान का अनुसरण करें
बेतुकी बातें ना करे मोक्ष की प्राप्ति में विश्वास
दूसरों को बदनाम न करें और उन पर गलत टिप्पणियाँ न करें ईश्वर में अटूट विश्वास
वह दिखावा न करें जो आप नहीं हैं प्रकृति की उपासना
सच्चे और ईमानदार रहें वेदों में अटूट विश्वास
हमेशा सामंजस्यपूर्ण, अच्छे इरादे रखें कर्म में विश्वास
धीरे से, नम्रता से बात करो

 

सनातन और हिंदू में क्या अंतर है?

हिंदू धर्म शब्द के अस्तित्व में आने से हजारों साल पहले, ‘सनातन-धर्म’ शब्द का संदर्भ दुनिया के सबसे पुराने साहित्य वेद में मिलता है।

ऊपर वर्णित कर्तव्यों को सनातन-धर्म और वर्णाश्रम-धर्म में वर्गीकृत किया जा सकता है। वर्णाश्रम-धर्म मनुष्य के आर्थिक और सामाजिक कर्तव्यों की पहचान करता है।

सनातन-धर्म में ऐसे कर्तव्य शामिल हैं जो आम तौर पर प्रकृति में आध्यात्मिक हैं। यह आत्मा या रूह को संदर्भित करता है और इस प्रकार यह व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न नहीं हो सकता।

सनातन-धर्म को वस्तुनिष्ठ रूप से परिभाषित करना बहुत कठिन है। यह उन शाश्वत कर्तव्यों को निर्धारित करता है जिनका पालन मनुष्य को जन्म की परवाह किए बिना करना चाहिए। 

वही हिन्दू धर्म की बात की जाए तो, हिंदू शब्द का उल्लेख वेदों और पुराणों जैसे प्राचीन साहित्य में नहीं मिलता है।

इसका अर्थ फारसियों द्वारा सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लिए बनाया गया था। मूल रूप से हिंदू का अर्थ है एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोग, यानी सिंधु नदी के किनारे रहने वाले भारतीय हैं।

फारसियों द्वारा भारतीयों को हिंदू नाम दिए जाने से पहले, भौगोलिक क्षेत्र को आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था।

जब यूनानी विजेता एलेक्सजेंडर ने दुनिया के इस हिस्से पर आक्रमण किया, तब इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सूचित करने के लिए हिंदू के बजाय इंदु शब्द का इस्तेमाल किया।

यही ‘इंदु’ बाद में भारत बन गया और यहां के लोग भारतीय कहलाने लगे।

जिस काल में मुस्लिम शासकों ने भारत पर शासन किया, उस समय सभी गैर- मुसलमानों पर एक भेदभावपूर्ण कर था !

इस प्रकार भारत में रहने वाले सभी गैर-मुसलमानों को हिंदू नामक एक विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक संप्रदाय के रूप में वर्गीकृत किया गया

बाद में १९वीं शताब्दी के दौरान ‘हिन्दू’ को भारत के लोग और सनातन-धर्म में शामिल हुए और हिंदू धर्म के रूप में पहचाना जाने लगा।

आज भी कई देशों में भारत के मुसलमानों और ईसाइयों को हिंदू-मुस्लिम और हिंदू-ईसाई कहा जाता है।

सनातन धर्म को, वैदिक या हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह एकमात्र धर्म है जो ईश्वर आत्मा और मोक्ष के तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग सिखाते हैं।

सनातन धर्म का यह सत्य है कि मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान प्राप्त होता है।

जन्म और मृत्यु मिथ्या (असत्य) है, और मोक्ष से ही ब्रह्म की प्राप्ति होती है। मोक्ष के अलावा खुद के अस्तित्व को पूर्ण करने का और कोई भी उपाय नहीं है।

इसके मार्ग; ध्यान, मौन, यम, नियम, और जागरण करना है। और इसके सीख के अनुसार, मृत्यु का भय छोड़कर, सनातन धर्म के मार्ग को अपनाओं नहीं तो, अंधकार में भटकते रह जाओगे।

 

charo ved

 

जैसे कि हमने कहा सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, तप, नियम आदि सनातन धर्म के मूल तत्व है। और इसमें मुख्यता चार वेद है,

ऋग्वेद अथर्ववेद
यजुर्वेद सामवेद

सनातन धर्म सब कुछ त्याग कर के सिर्फ सत्य की खोज करना हैं।

जब आप सारी बुराई का त्याग कर के सच्चाई की खोज में लग जाते हो तब धार्मिक लेबल अपने आप ही अर्थहीन हो जाते हैं। 

एक सनातनी व्यक्ति, धर्म के रीति – रिवाजों का त्याग कर देता हैं। और उनके अनुसार वेद परमात्मा द्वारा दिया गया ज्ञान हैं, स्वयं परमात्मा की वाणी है और संसार का आदि गुरु परमात्मा ही है।

सनातन और हिंदू में क्या अंतर है वो निम्नवत है; 

सनातन धर्म हिंदू धर्म
सनातन धर्म एक व्यापक धार्मिक परंपरा है, जिसे भारतीय सभ्यता की आधार और पीठ भी कहा जाता है। हिंदू धर्म भारत की प्रमुख धार्मिक परंपरा है जो वेदों, उपनिषदों, पुराणों और अन्य ग्रंथों पर आधारित है।
सनातन धर्म को शास्त्रीय धर्म भी कहा जाता है क्योंकि इसमें धार्मिक ग्रंथों का महत्व होता है जो समय के साथ परंपरागत रूप से स्थायी हैं। हिंदू धर्म को वेदांत धर्म भी कहा जाता है क्योंकि इसमें वेदांत फिलॉसफी का गहरा प्रभाव है।
सनातन धर्म में ईश्वर की अनेकता मानी जाती है और लोग विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में भी ईश्वर की अनेकता को माना जाता है, लेकिन अधिकांश लोग ब्रह्मा, विष्णु, और शिव को मुख्य देवता मानते हैं।
सनातन धर्म में चार आश्रम होते हैं: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, और संन्यास। हिंदू धर्म में भी चार आश्रम होते हैं, लेकिन ये उत्तराखंड, विवाह, वानप्रस्थ, और संन्यास होते हैं।
सनातन धर्म में धार्मिक गतिविधियों का एक व्यवस्थित तंत्र है, जैसे पूजा, हवन, ध्यान, आरती, आदि। हिंदू धर्म में भी विभिन्न पूजा-अर्चना के रूप में धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं, जैसे पूजा, हवन, आरती, पाठ, आदि।

यद्यपि सनातन धर्म और हिंदू धर्म एक ही हैं, सनातन धर्म और हिंदू धर्म के बीच एक मुख्य अंतर यह है कि सनातन धर्म को सभी धर्मों का मूल माना जाता है !

जबकि हिंदू धर्म एक मुख्य विश्वास और संस्कृति का समूह है जो भारतीय सभ्यता से जुड़ा हुआ है। 

हिंदू धर्म केवल भारत में माना जाता है जबकि सनातन धर्म विश्व भर में माना जाता है। कुल मिलाकर, सनातन धर्म और हिंदू धर्म के बीच अंतर यह है कि,

सनातन धर्म पूरी दुनिया के सभी धर्मों के धर्मशास्त्र को संदर्भित करता है, जबकि हिंदू धर्म भारतीय जातियों और समुदायों से जुड़ा है और केवल धर्मग्रंथों को संदर्भित करता है

 

FAQ :

सवाल : सनातन धर्म में किसकी पूजा की जाती है?

नातन परंपरा को मानने वाले के घर में कम से कम पांच देवी-देवता यानी भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान सूर्य एवं भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

सवाल : सबसे बड़ा हिंदू भगवान कौन है?

वैष्णव परंपरा में विष्णु को सर्वोच्च परमात्मा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।

सवाल : दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है?

प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, दुनिया में ईसाई सबसे बड़ा धर्म हैं

सवाल : पृथ्वी पर सबसे पुराना धर्म कौन सा है?

हिन्दू धर्म, इसे ‘वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म’ भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है।

सवाल : पृथ्वी पर कितने धर्म हैं?

कुछ अनुमानों के अनुसार, आज दुनिया भर में ४,००० से अधिक धर्म, आस्था समूह और संप्रदाय मौजूद हैं।

सवाल : सनातन धर्म का मूल मंत्र क्या है?

सनातन धर्म का मूल मंत्र है, “सत्यमेव जयते” है

सवाल : दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौन सा है?

दुनिया का सबसे पुराना धर्म है, सनातन धर्म, जो भारतीय सभ्यता का हिस्सा है

 

Conclusion 

सनातन धर्म आज के समय में बहुत प्रसिद्ध धर्म है। भारत में सनातन धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है।

अगर आप हिंदू नहीं भी हैं तो भी आपको सनातन धर्म के बारे में जानना चाहिए क्योंकि यह धर्म किसी एक व्यक्ति का धर्म नहीं है, बल्कि यह धर्म सत्य का धर्म है।

अगर आप सनातन धर्म के बारे में जानना चाहते हैं, तो आज के लेख की जानकारी आपके लिए जरूर महत्वपूर्ण रही होगी

इस लेख में हम ने जाना Sanatan dharm kitna purana hai और समझा की इतिहास के अनुसार यह ३००० ईसा पूर्व से १५००० ईसा पूर्व तक का है

लेकिन यह मात्र एक अनुमान है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है वही हम ने जाना सनातन धर्म के संस्थापक कौन हैं, सनातन धर्म की उत्पत्ति क्या है और तो और सनातन धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी देने का हमने पूरा प्रयास किया।

हमे आशा है कि आपको सनातन धर्म क्या है इसके बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी अगर ये जानकारी आपको महत्वपूर्ण लागि होगी तो, आपके मित्रों के साथ भी यह लेख जरूर शेर करना। और हमे सपोर्ट करना

इस लेख को शुरवात से अंत तक पढ़ने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद

Leave a Comment