जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने वर्ष 1828 में विद्युत करेंट तथा विद्युत वोल्टेज के बीच संबंध स्थापित किया, जिसे Om Ka Niyam (Ohm’s Law in Hindi) कहा जाता है। जो विद्युत धारा और संभावित अंतर के बीच संबंध की व्याख्या करता या बताता है।
ओम का नियम एक विद्युत परिपथ में वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के बीच संबंध की गणना करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक सूत्र है।
जो छात्रों को अपने शुरुआती कक्षा 8 से ऊपर के वर्गों तक पढ़ना होता है जो फ़िज़िक्स विषय का एक भाग है।
भौतिकी विषयों के छात्रों के लिए, ओम का नियम (V = IR) उतना ही जरूरी है जितना कि आइंस्टीन का Relativity equation (E = mc²) physicists के लिए है।
आप भी अगर Electronic students है ! तब आपको ओम का नियम क्या है के बारें में जानना आवश्यक हो जाता है जिसके बल पर बहुत सारें प्रश्नो का जवाब दिया जाता है साथ ही इसका इस्तेमाल भौतिक और वास्तविक जीवन में भी किया जाता है।
आज के इस लेख में हम Ohm का नियम, परिभाषा, सूत्र, सीमा के बारें में सभी तरह की जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे जिससे आप Ohm और नियम को सरल भाषाओं में समझ सकते है
यदि आप भी सरल भाषा में Ohm की पूरी जानकारी जानना चाहते है तो इस लेख को शुरवात से अंत तक जरूर पढ़े और अपने दोस्तों के साथ भी साझा करे
ओम का नियम क्या है (Om ka Niyam) | Ohm’s Law in Hindi
ओम के नियम का सूत्र – V = IR होता है, जिसे गणितीय रूप से यह वर्तमान वोल्टेज का संबंध स्थापित करता है तथा इसे, के रूप में लिखा जाता है, जहां पर …
V=IR
V का अर्थ = | विभान्तर (Voltage), इकाई Volt (V) |
I का अर्थ = | धारा (Current), इकाई Ampere (A) |
R का अर्थ = | प्रतिरोध (Resistance), इकाई ohm (Ω) |
P का अर्थ = | पावर |
होता है जिसके आधार पर हम ओम के नियम का परिभाषा को भी लिख सकते है।
इस तरह कहा जा सकता है कि विभान्तर धारा और प्रतिरोध के समानुपाती यानि बराबर होता है।
Om का नियम की परिभाषा | Definition of Ohm’s Law in Hindi
ओम के अनुसार – “यदि किसी वस्तु की Physical state जैसे – Length, Temperature, Area, Pressure इत्यादि में परिवर्तन नही होता,
तब उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उसके सिरों (ends) पर लगाए गए विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती (sequentially) होता है।“अर्थात्,
V∝ I
आपको बता दें, विद्युत परिपथों के सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण नियमों में से एक ओम का नियम है। जिसमें कहा गया है कि “एक कंडक्टर में वोल्टेज इसके माध्यम से बहने वाला विद्युत धारा के Direct Proportional होता है।“
ओम का नियम तभी सही होता है जब प्रदान किया गया तापमान और अन्य भौतिक कारक स्थिर रहते हैं। कुछ घटकों में, करंट बढ़ने से तापमान बढ़ जाता है ।
इसका एक उदाहरण एक प्रकाश बल्ब का फिलामेंट है, Ohm’s law triangle को नीचे देखा जा सकता है।
जिसमें करंट बढ़ने पर तापमान बढ़ता है। इस मामले में, ओम का नियम लागू नहीं किया जा सकता है।
लाइटबल्ब फिलामेंट ओम के नियम का उल्लंघन करता है। इसके साधारण परिभाषा के रूप में कहा जा सकता है कि ”किसी चालक के सिरों पर वोल्टेज प्रवाहित होने वाली धारा के समानुपाती होता है।“
किसी भी डीसी विद्युत (DC Voltage) परिपथ में वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के बीच संबंध की खोज सबसे पहले जर्मन भौतिक विज्ञानी जॉर्ज ओम ने की थी।
- जहां पर ओम को Ω चिन्ह के साथ सूचित किया जाता है।
ओम का नियम विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को नियंत्रित करने वाले सबसे मौलिक और महत्वपूर्ण नियमों में से एक है !
जिसे विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान की सभी शाखाओं में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग सर्किट में आवश्यक प्रतिरोधों के मूल्य की गणना के लिए किया जाता है,
साथ ही सर्किट में प्रवाहित होने वाली धारा को निर्धारित करने के लिए भी किया जाता है, जहां वोल्टेज को एक ज्ञात प्रतिरोधक में आसानी से मापा जा सकता है।
इस तरह साधारण भाषाओं में Ohm’s Niyam के रूप में कहा जा सकता है “अचर ताप पर किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा उनके सिरों के बीच के विभान्तर के समानूपाती (Proportionate) होता है।
- अर्थात V∝ I या V/I = R या V = IR या V = I x R लिख सकते है।
यहाँ दिया गया सूत्र (फॉर्मूला) के द्वारा आप वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध का मान निकाल सकते है, लेकिन ध्यान रखें ओम का नियम तभी लागू होता है जब भौतिक अवस्थायें स्थिर (constant) होता है।
ओम के नियम के दूसरे परिभाषा के रूप में “नियत ताप पर किसी चालक के सिरों के बीच का विभान्तर उसमें प्रवाहित धारा के समानूपाती होता है।“
ओम नियम का चित्र दिखाए | Ohm’s law diagram in Hindi
नीचे दिया गया चित्र में देखा जा सकता है कि जब किसी विद्युत परिपथ चालक में धारा (+V-) प्रवहित बैट्री को लगाकर किया जाता है और परिपथ में एम्पियर जोड़ा जाता है तब दोनों धारा आपस में मिलकर एक दूसरे के समानुपाती (proportional) हो जाता है।
ओम का नियम कहता है कि किसी परिपथ में प्रवाहित धारा लागू विभवान्तर के समानुपाती होती है और परिपथ में प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
दूसरे शब्दों में, जब एक सर्किट बोर्ड में अगर हम वोल्टेज को बढ़ाते है तब उसके साथ करेंट भी बढ़ने लग जाता है।
हालाँकि यदि प्रतिरोध को दोगुना कर दिया जाता है तो करंट आधा हो जाएगा। इस गणितीय संबंध में प्रतिरोध की इकाई को ओम में मापा जाता है।
यह भी बात ध्यान में रखें कि यह नियम DC (Direct Current) और AC (Alternating current ) दोनों में धारा में ही लागू हो सकता है।
ओम का नियम का Verified कैसे करे
ओम के नियम कहता है कि धारा में I एक कंडक्टर के माध्यम से वोल्टेज के समानुपाती होता है जो V सिरे के रूप में लिखा जाता है यानि V , I R V=IR, जहां पर R कंडक्टर का एक प्रतिरोध है।
अगर हम ohm’s law को Verify करना चाहे, तब इसे प्रयोगशाला या घर में बड़ी ही आसानी से सत्यापित किया जा सकता है।
जिसके लिए आपको
- एक वाल्टमीटर,
- एक एमीटर
- बिजली की आपूर्ति (dry cell) प्रतिरोधों और कनेक्टिंग करने वालें बिजली के तारों की अवश्यकता होगी।
नीचे दिया गया चित्र में Om के Niyam का Verified करने का एक सरल प्रक्रिया दिया गया है। जिसमें आपको
- चार या पांच सुखी सेल (बैटरी),
- एक पतली बिजली तार (AB),
- एक वोल्टमीटर, एक एमीटर,
- एक प्लग कुंजी
- कुछ मोटे जोड़ने वाले तार को लेना होगा।
अब आपको चित्र में दिखाया गया ग्राफ सर्किट को इसी प्रकार कनेक्ट करें।
अगर आप प्लग कुंजी (switch) भी सर्किट में जोड़ते है तब आवश्यकता नही होने पर DC करेंट को बंद भी कर सकते है।
जब उसमें कुछ देर तक तार में करेंट प्रवाहित करेंगे, तब वह काफी गरम हो जाता है ! जिससे बैट्री सेल भी खतम होते जाती है
इसलिए सर्किट में ऊर्जा बचाने के लिए करंट चालू करने के लिए प्लग में चाबी (key) को भी जोड़े। सर्किट को इस तरह से व्यवस्थित करें कि एमीटर करंट को मापता हो
सर्किट के माध्यम से, और वोल्टमीटर संभावित अंतर को मापता है V तार के सिरों A और B के बीच रहें।
अब, सर्किट में श्रृंखला में दो बैट्री को कनेक्ट करें। आप पाएंगे कि वाल्टमीटर की रीडिंग बढ़ जाती है, जिससे Ammeter reading भी बढ़ने लग जाता है।
यदि आप गणना करते हैं V/I प्रत्येक मामले के लिए, आप पाएंगे कि यह लगभग समान है।
इसलिए, V/I = R एक स्थिरांक है, जो ओम के नियम को बताने का दूसरा तरीका है।
यहां, R तार AB का प्रतिरोध है। यदि आप धारा का ग्राफ बनाते हैं, तब I Potential difference के विरुद्ध V, यह एक सीधी रेखा होगी। इससे पता चलता है कि करंट संभावित अंतर के समानुपाती होता है।
Ohm का नियम पाई चार्ट
विभिन्न मापदंडों के बीच संबंध को बेहतर ढंग से समझने के लिए, हम वोल्टेज, करंट, प्रतिरोध और शक्ति को खोजने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी फॉर्मूला को एक साथ ले सकते हैं
और उन्हें एक साधारण ओम के नियम पाई चार्ट में संघनित कर सकते हैं जैसा कि नीचे दिखाया गया है।
अगर आप अपनी फ़िज़िक्स की कक्षाओं में Om ka नियम पढ़ रहें है तब आपको ऊपर दिया गया चार्ट को अवश्य नोट कर लेना चाहिए। जिसके आधार पर बहुत सारें सवालो के जवाब के हल निकाला जाता है।
ओम के नियम का संबंध एवं (Formula) फार्मूला
अगर हम ओम के नियम का प्रयोग करके एक दूसरे में से जवाब खोजने का प्रयास करें तब, वोल्टेज, करंट या प्रतिरोध में से किंही दो वैल्यू को जानकार हम तीसरे वैल्यू का पता लगा सकते है।
Ohm’s law relation व्यापक रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स फॉर्मूला और Calculation में प्रयोग किया जाता है
इसलिए नीचे दिया गया फॉर्मूला को सवाल को हल करने और प्रयोगशाला में प्रयोग करने से पहले हमें इन सूत्रों को याद करना चाहिए।
प्रतिरोध (Resistance) निकालने के लिए, (R) | (R = V ÷ I) R (Ω) = V (volts) ÷ I (amps) |
वोल्टेज (Voltage) निकालने के लिए, (V) | (V = I x R) V (volts) = I (amps) x R (Ω) |
करंट (Current) निकालने के लिए, (I) | (I = V ÷ R) I (amps) = V (volts) ÷ R (Ω) |
पावर (Power) जानने के लिए, (P) | (P = V x I) I (watts) = V (volts) x I (amps) |
ओम के नियम की सीमाएं क्या है
ओम का नियम कहता है कि विद्युत धारा वोल्टेज के समानुपाती होता है और प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होता है !
लेकिन यह नियम सभी जगहों पर लागू नहीं होता है उसका भी कुछ लिमिटेशन होता है जिसे नीचे बताया गया है: –
- ओम का नियम डायोड (diode) और ट्रांजिस्टर (transistor) जैसे एक तरफा विद्युत तत्वों के लिए लागू नहीं होता है क्योंकि वे करंट को केवल एक दिशा में प्रवाहित होने देते हैं।
- गैर-रैखिक विद्युत तत्वों (non-linear electrical elements) के लिए समाई, प्रतिरोध आदि जैसे मापदंडों के साथ वोल्टेज और करंट समय के संबंध में स्थिर नहीं होगा जिससे ओम के नियम का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है।
- गैर-रैखिक तत्व वे होते हैं जिनमें वर्तमान में लागू वोल्टेज के समानुपाती (proportional ) नहीं होता है, जिसका अर्थ है कि उन तत्वों का प्रतिरोध मान वोल्टेज और करंट के विभिन्न मूल्यों के लिए बदलता है।
- ओम का नियम केवल धात्विक चालकों (metallic conductors) में ही लागू होता है तो यह गैर-धातु कंडक्टर के मामले में काम नहीं करेगा अथार्थ इससे धारा प्रवाहित नही किया जा सकता है।
ओम के नियम की सीमाओं के (Example) उदाहरण
ऐसे बहुत सारें उदाहरण शामिल है, जहां पर Ohm के नियम लागू नही किया जा सकता है उदाहरण के रूप में: –
- जब डायोड के लिए वोल्टेज और करेंट को प्लॉट किया जाता है तब देखा जाता है कि voltage और current के बीच लाइनर रिलेशन (रैखिक संबंध) नही है।
- साथ ही हम पानी के वोल्ट-एमिटर पर विचार करते है, तब पता चलता है कि यह एकतरफा नेटवर्क का पालन करता है जो ऐसे नेटवर्क ओम के नियमों के विरुद्ध लागू नही किया जा सकता है।
- साथ ही, यह आवश्यक नहीं है कि सभी चालक ओम के नियम का पालन करें। सिलिकॉन और जर्मेनियम जैसे अर्धचालक (semiconductor) हैं जो इस नियम का पालन नहीं करते हैं और उन्हें गैर-ओमिक कंडक्टर के रूप में जाना जाता है।
ओम के नियम का (Application) अनुप्रयोग
हमारें भौतिक जीवन से लेकर वास्तविक जीवन तक हर दिन हम लोग ओम के नियमों से बने उपकरणों का इस्तेमाल करते रहते है जिसके बारें में हर किसी को नही पता होता है
आपको बता दे, यह नियम बहुत उपयोगी है जिसके कुछ अनुप्रयोग नीचे दिया गया है:
- यह व्यापक रूप से सर्किट विश्लेषण (circuit analysis) में उपयोग किया जाता है।
- इसका उपयोग एमीटर, मल्टीमीटर आदि में किया जाता है।
- साथ ही इसका उपयोग प्रतिरोधों को डिजाइन करने के लिए किया जाता है।
- सर्किट डिजाइन में desired circuit drop प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
- इलेक्ट्रिक हीटर, केतली और अन्य प्रकार के उपकरण कार्य सिद्धांत ओम के नियम का पालन करते हैं।
- एक लैपटॉप और मोबाइल चार्जर डीसी बिजली की आपूर्ति का उपयोग करते हुए संचालन और कार्य सिद्धांत ओम के नियम पर निर्भर करता है।
- साथ ही इन सभी के अलावा ओम के नियम के कई अन्य उपयोग भी हैं।
प्रतिरोधों के प्रकार ओम लॉ इन हिंदी
रेसिस्टर (प्रतिरोध) एक ऐसा उपकरण है जो करंट के प्रवाह को रोकता है। जो एक निष्क्रिय दो-टर्मिनल उपकरण है जिसका उपयोग विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
इसके आधार पर Analogies of Ohm’s Law को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है: –
1) ओमीय प्रतिरोध (Ohmic Resistance) | जिस विद्युत प्रतिरोध में करेंट और वोल्टेज का ग्राफ एक सरल रेखा (straight line) में रहकर ओम के नियमों का पालन करते है उसे ओमीय प्रतिरोध कहते है। | उदाहरण : तांबा, सल्फर, चांदी, नाइक्रोम, माइका, पारा इत्यादि |
2) अनओमीय प्रतिरोध (Anomalous Resistance) | जिस विद्युत प्रतिरोध में करेंट और वोल्टेज का ग्राफ एक सरल रेखा पर नही होता है और वह ओम के नियमों का पालन नही करता है ऐसे प्रतिरोधों को अनओमीय प्रतिरोध कहा जाता है | उदाहरण : डायोड, ट्रांजिस्टर, वाइक्यूम ट्यूब, विद्युत अपघटनी द्रव इत्यादि |
ओम का नियम 10th क्लास
अगर आप दशवी कक्षा के छात्र है तब आपको आपके फ़िज़िक्स की क्लास में ओम के बारें में बेसिक जानकारी दिया जाता है
जिसके आधार पर भी कई तरह के सवालो के जवाब दिया जा सकता है। जो सिलेबस में दिया हुआ रहता है।
आपके लिए ओम का नियम परिभाषा – किसी भी चालक से बहने वाली विद्युत धारा उसके सिरों के बीच संभावित अंतर (वोल्टेज) के सीधे आनुपातिक होती है, यह मानते हुए कि कंडक्टर की भौतिक स्थिति नहीं बदलती है।
दूसरे शब्दों में, किसी चालक के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर का अनुपात उनके बीच बहने वाली धारा से स्थिर होता है, बशर्ते कि भौतिक स्थितियाँ (जैसे, तापमान आदि) न बदलें।
गणितीय रूप से, ओम के नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है,
- V∝ I या
- I = V/R या
- V = I * R
ओम का नियम क्लास 12th
जब आप अगली कक्षा बारहवी में प्रवेश कर जाते है, तब भौतिकी किताब में ओम के नियमों और उसका उपयोग के बारें में विस्तार से पढ़ना होता है।
इस तरह कहा जा सकता है कि बढ़ती कक्षाओं के साथ ओम के नियमों को अधिक समझना पड़ता है।
यह भौतिकी के मूलभूत नियमों में से एक है जो विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को नियंत्रित करता है।
ओम के नियम को वोल्टेज और करंट के बीच संबंध के रूप में जाना जाता है इसका संबंध कहता है कि एक कंडक्टर में वोल्टेज इसके माध्यम से वर्तमान के सीधे आनुपातिक है।
उदाहरण के लिए, जब हम टॉर्च में सेलों की संख्या बढ़ाते हैं, तो बल्ब की चमक बढ़ जाती है। दूसरी ओर, जब हम लंबे समय तक टॉर्च का उपयोग करते हैं, तो हम देखते हैं कि बल्ब की चमक धीरे-धीरे कम हो जाती है
ऐसा इसलिए होता है ! क्योंकि टॉर्च के बल्ब से बहने वाली धारा उस पर लगाए गए संभावित अंतर पर निर्भर करती है
ओम का नियम कहता है कि किसी सर्किट में प्रवाहित धारा लागू विभवान्तर के समानुपाती होती है और सर्किट में प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
ओम के नियम के अनुसार यदि किसी चालक तार से प्रवाहित होने वाली धारा I है और चालक तार के सिरों पर विभवांतर V है
- I∝V
- V∝I
- V∝IR
Om के नियम का उदाहरण सवाल – जवाब
Ohm’s law का इस्तेमाल करते हुये यहाँ कुछ सवालों को हल किया गया है जिसे आपको अवश्य समझना चाहिए !
यह ऐसे सवाल है जिस से जवाब में आप को यह समझ ने मदत होगी की यह Ohm Law किस तरह से काम करता है ! वही यदि आप स्टूडेंट हो तो भविष्य में आप को इस तरह से सवाल एग्जाम या पेपर में आ सकते है
सवाल | जवाब |
यदि 220V लाइन से जुड़ा एक विद्युत बल्ब 2A की विद्युत धारा खींचता है, तो बल्ब फिलामेंट का प्रतिरोध क्या होगा? |
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एक चालक तार का प्रतिरोध 10Ω है। इसे 1.5V की बैटरी से जोड़ने पर कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी? |
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एक विद्युत परिपथ से 12 amp धारा प्रवाहित हो रही है और V वोल्ट की एक बैटरी परिपथ से जुड़ी है। 0.5 ओम का प्रतिरोध बैटरी के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है। V का मान ज्ञात कीजिए? |
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एक विद्युत वाहक पर 12 (V) वोल्ट्स का वोल्टेज है और उसका रेसिस्टेंस 6 ओहम है, तो उस पर कितनी धारा होगी? |
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एक विद्युत वाहक का रेसिस्टेंस 10 ohms है और उस पर 2 एम्पेर की धारा है। उसका वोल्टेज क्या होगा? |
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एक वाहक का वोल्टेज 150 वोल्ट्स है और उसका रेसिस्टेंस 20 Ohm है, तो उसमें कितनी धारा है? |
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FAQ
सवाल : ओम का नियम in English
If the physical state of a conductor does not change in length, temperature, area, pressure, etc., then the electric current flowing in it is directly proportional to the potential applied across its ends.
सवाल : 1 ओम से आपका क्या मतलब है
जब कंडक्टर के सिरों पर वोल्टेज ड्रॉप 1 वोल्ट है और कंडक्टर में प्रवाहित धारा 1 amp है, तो कंडक्टर का प्रतिरोध 1 ओम होगा। 1 ओम = 1 वोल्ट / 1 एम्पीयर
सवाल : ओम के नियम के 3 रूप क्या हैं
ओम नियम के तीन रूपों का उपयोग क्रमशः वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के मान को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। (1) V = IR, (2) I = V/R, (3) R = V/I
सवाल : ओम का नियम अर्धचालकों पर क्यों लागू नहीं होता है
ओम का नियम अर्धचालक उपकरणों पर लागू नहीं होता क्योंकि वे अरेखीय उपकरण हैं। इसका मतलब है कि वोल्टेज में बदलाव के लिए वोल्टेज और करंट का अनुपात स्थिर नहीं रहता है।
सवाल : ओम का नियम किस पर लागू होता है AC ya DC
जब आप ओम के नियम के बारें में अत्यधिक रिसर्च करते है तब आपको पता चलता है यह DC (Direct Current) और AC (Alternating current ) दोनों में धारा में ही लागू हो सकता है, लेकिन कुछ ब्लॉग पर सिर्फ डीसी करेंट के बारें में ही बताया गया है जो पूर्णत: सही नही है।
सवाल : ओम के नियम का खोज किसने किया था
जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने वर्ष 1828 में विद्युत करेंट तथा विद्युत वोल्टेज के बीच संबंध स्थापित किया, जिसे ओम का नियम (Ohm’s Law in Hindi) कहा जाता है।
सवाल : ओम का नियम कैसे प्रयोग किया जाता है
Ohm का नियम विद्युतीय चालकों की मानक संज्ञान में लिया जाता है। यह विद्युत विज्ञानी और इंजीनियर्स द्वारा विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डिजाइन और अनुप्रयोग में उपयोग किया जाता है।
सवाल : ओम का नियम का उपयोग कैसे किया जाता है?
विद्युतीय उपकरणों के डिज़ाइन, निर्माण, और परीक्षण में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग विभिन्न संदर्भों में विद्युतीय प्रणालियों की प्रदर्शनक्षमता को मापने और समझने में भी होता है
सवाल : ओम कितने वाट का होता है
ओहम की मात्रा को वाट में नहीं नापा जाता है | वाट ऊर्जा का मापनकर्ता होता है, जबकि ओहम विद्युत प्रतिरोध को मापता है | ओम 1 एम्पीयर के बराबर होता है।
सवाल : ओम के नियम में करंट, वोल्टेज और रेजिस्टेंस का संबंध कैसे होता है?
ओम के नियम, करंट, वोल्टेज और प्रतिरोध का संबंध सीधा प्रतियुक्त होता है। यानि की अगर रेजिस्टेंस बढ़ती है, तो वोल्टेज और करंट दोनों में गिरावत होती है, और अगर वोल्टेज बढ़ती है, तो करंट भी बढ़ता है, अगर अगर करंट बढ़ता है तो वोल्टेज भी बढ़ता है।
सवाल : 10 वोल्ट की वोल्टेज आपूर्ति और 5mA की धारा वाले विद्युत परिपथ के प्रतिरोध की गणना
- प्रतिरोध (R) = वोल्टेज (V) / धारा (I)
- यहां, वोल्टेज (V) = 10 वोल्ट और धारा (I) = 5 मिलीएम्पीयर हैं (5mA = 0.005 एम्पीयर)
- इसे विभाजित करके हम प्रतिरोध की मान निकाल सकते हैं:
- R = 10 वोल्ट / 0.005 एम्पीयर = 2000 ओह्म
- इसलिए, विद्युत परिपथ के प्रतिरोध की मान 2000 ओह्म (2 kΩ) है।
सवाल : ओम का नियम का उपयोग किन-किन शाखाओं में होता है?
ओम का नियम विज्ञानी, इंजीनियरिंग, तथा प्रौद्योगिकी जैसे कई शाखाओं में उपयोगी है, विशेष रूप से विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली अभियांत्रिकी, और फिजिक्स जैसे शाखा में Ohm का नियमका इस्तिमाल होता है
Conclusion
आज के लेख में हम ने Om ka Niyam क्या है यह जाना इसके अलावा Ohm की परिभाषा, सूत्र, सीमा, सत्यापन, नियम के अनुप्रयोग जैसे तमाम महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानने की पूरी कोशिश की है
वही हम ने Ohm के नियम में जाना की यह विद्युत विज्ञान में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो बताता है कि एक संदर्भ में विद्युत धारा (I) उस संदर्भ में बिजली की दाब (V) और विद्युत प्रतिरोध (R) के अनुपात के बराबर होती है: I = V/R।
यह नियम 19वीं सदी के जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओहम द्वारा खोजा गया था | उम्मीद है की आप को हमारे द्वारा शेयर किया यह लेख बेहद पसंत आया होगा !
अगर आप के मन में इस विषय सम्बंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट में हमे पूछ सकते है जिसका जवाब देने की हम पूरी कोशिश करेंगे !
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