भारत का संविधान कितने लोगों ने लिखा था | Samvidhan kisne likha tha

यदि आप के मन में यह सवाल आ रहा है की भारत का संविधान कितने लोगों ने लिखा था तो सब से पहले जानिए अगर किसी भी देश की शासन व्यवस्था को सुचारू ढंग से संचालित करना है तो उसके लिए उस देश का एक संविधान होना चाहिए, जिसके द्वारा की पूरा देश चलाया जा सके

सामान्य भाषा में देखा जाए तो संविधान बहुत सारी नीतियों और नियमों का संकलन होता है, जिनमें बंद रहकर किसी देश के नागरिकों को इसका पालन करना रहता है

और आज विश्व के प्रत्येक उस देश का संविधान अस्तित्व में है जो कि अपने आप को एक संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक राष्ट्र मानता है

विश्व के अन्य देशों की तरह भारत का भी संविधान है जो कि भारत की आजादी के लगभग 3 वर्षों पश्चात 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था और वही यहां 26 नवंबर 1949 को पूरा बनकर तैयार हो गया था

पर बात आती है कि क्या भारत का संविधान अंग्रेजों द्वारा लिखा गया था या इसे किसी मशीन द्वारा छाप दिया गया था तो इस बात का उत्तर है कि भारत का संविधान एक संविधान सभा द्वारा लिखा गया था,

जिसमें कि सभी भारतीय थे और वे देश के विभिन्न विभिन्न भागों का प्रतिनिधित्व करते थे

आज के इस लेख में हम इसी संविधान सभा और इन्हीं लोगों के बारे में कुछ जानकारियां को आपके साथ साझा करने की कोशिश करेंगे साथ ही यह पता करेंगे की भारत का सविधान किसने लिखा था !

आपने पंडित जवाहरलाल नेहरु या डॉक्टर भीमराव अंबेडकर या फिर जे बी कृपलानी आदि लोगों का नाम जरूर सुना होगा क्योंकि यह लोग वे सभी हैं, जो कि संविधान या यू कहे तो भारत का संविधान लिखने वालों में प्रमुख थे

लेकिन इनमें से किसने सविधान लिखा एंव सविधान लिखने में कितने लोगों का समावेश था ! जैसे तमाम सवालों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करेने की कोशिश करेंगे यदि आप भी इस विषय में रूचि रखते है तो इस लेख को शुरवात से अंत तक जरूर पढ़े

 

Bharat ka samvidhan kisne likha

 

भारत का संविधान कितने लोगों ने लिखा था

हमारा प्यारा भारत जब 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ तो इसे आगे चलाने के लिए एक संविधान की जरूरत पड़ी और इसी को ध्यान में रखते हुए संविधान सभा का गठन किया गया अर्थात की संविधान सभा में वे लोग थे जिन पर भारत का संविधान लिखने का दायित्व था!

भारत का संविधान 299 लोगों ने लिखा – लेकिन कुछ अनुभवी लोगों के अनुसार भारत के सविधान को 284 लोगों ने मिलकर लिखा था !

 

Samvidhan kisne likha tha

 

और यही सब लोग संविधान सभा के सदस्य भी कहलाए और भारत का संविधान लिखने वाले लोगों के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद बने जो कि आगे चलकर भारत के प्रथम राष्ट्रपति भी हुए !

संविधान सभा के इन सभी सदस्यों का निर्वाचन भारत के विभिन्न विभिन्न भागों से किया गया था ताकि भारत के हर क्षेत्र हर जाति हर धर्म के लोग इसमें शामिल हो सके और अपनी अपनी विभिन्न जानकारियों को भारत के संविधान में शामिल कर सके

इस संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को पूर्ण रूप से लिखने का काम 26 नवंबर 1949 तक पूरा कर लिया गया था !

और इसी कारण से आज तक 26 नवंबर को राष्ट्रीय संविधान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है जबकि 26 जनवरी 1950 को इसे संपूर्ण भारत में लागू किया गया इसीलिए आज भी हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं

भारत का संविधान लिखने वाले लोगों में कुछ प्रमुख लोगों का नाम आप सभी पढ़ते होंगे जो कि निम्नलिखित हैं :

पंडित जवाहरलाल नेहरू
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद
सरदार वल्लभभाई पटेल
डॉ राजेंद्र प्रसाद
जयाप्रकाश नारायण
जे बी कृपलानी

इन सभी पुरुषों के अलावा संविधान लिखने वाली इस सभा में बहुत सी महिलाएं भी शामिल थी जिसमें कि सरोजिनी नायडू एवं सुचेता कृपलानी जैसी महिलाओं का नाम भी हमें देखने को मिलता है

जब इन सभी लोगों ने भारत का संविधान लिखना शुरू किया तो इन्होंने 1935 के भारत शासन अधिनियम को अपना आधार बनाते हुए बहुत सी चीजों को हूबहू अपना लिया और जिन चीजों में कुछ संशोधन करने की आवश्यकता पड़ी वहां पर इन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक का प्रयोग करते हुए उनमें संशोधन भी किए


नोट : इस प्रकार से इन प्रमुख लोगों ने भारत के संविधान को लिखा और उसे दुनिया के सामने एक मिसाल के तौर पर पेश किया

हालांकि बहुत से लोगों का मानना है कि हमने हमारे देश के सविधान को लिखने के लिए अन्य दुनिया के संविधान से कुछ चीजों को चुराया है, पर उसे चुराना नहीं बल्कि सही ढंग से इस्तेमाल करना कहते हैं


Bharat का Samvidhan लिखने में कितनी महिलाएं शामिल थी

जब संविधान सभा के लिए भारत के विभिन्न भागों से सदस्यों का चुनाव किया जा रहा था तो बहुत सी जगह से महिलाओं की भागीदारी भी सामने आई क्योंकि इनकी भागीदारी के बिना इस संविधान को पूर्णता निष्पक्ष नहीं बनाया जा सकता था

इसीलिए भारत का संविधान लिखने में कुल 15 महिलाओं का विशेष योगदान माना जाता है और यही 15 महिलाएं भारतीय संविधान सभा की सदस्य भी रहे

सुचेता कृपलानी
सरोजिनी नायडू
अम्मू स्वामीनाथन
विजयलक्ष्मी पंडित
मालती चौधरी
राजकुमारी अमृत कौर
एजाज बेगम रसूल
लीला रोह
हनसा मेहता
कमला चौधरी
रेणुका रे
दुर्गाबाई देशमुख
सुचेता कृपलानी
सरोजिनी नायडू
अम्मू स्वामीनाथन

संविधान को लिखने वाली इन 15 महिलाओं में से कुछ विशेष नाम ऊपर आपके सामने प्रस्तुत किए गए हैं ! जिनमें की विजय लक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सगी बहन थी

वही सरोजनी नायडू स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी तो दूसरी ओर सुचेता कृपलानी स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनी और यह दोनों ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री बनी थी जब इन्होंने पहला कार्यकाल ग्रहण किया

 

भारत के बंटवारे से पहले संविधान लिखने वाले लोग 

15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो एक और आजादी की खुशियां थी तो वहीं दूसरी और पाकिस्तान के जुदा होने का गम और इसी से संबंधित एक अन्य बात भी हमारे जहन में आती हैं

भारत का संविधान लिखने के लिए पहले 389 लोगों का चयन किया गया था परंतु बंटवारे के बाद यह संख्या 299 तक सीमित रह गई क्योंकि बाकी के सदस्य उन प्रांतों या राज्यों से आते थे जो कि अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुके थे

तो ऐसे में उन सभी सदस्यों ने पाकिस्तान के संविधान को लिखने का कार्य किया और भारत से इधर पाकिस्तान एक स्वतंत्र इस्लामिक राष्ट्र बन गया

ऐसा इसलिए भी था क्योंकि जब पहली बार संविधान सभा का गठन हुआ तो इसकी पहली बैठक 1946 में जुलाई में हुई थी जबकि पाकिस्तान का बंटवारा 15 अगस्त 1947 को किया गया था तो इस कारण से यह बाकी के सदस्य 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का संविधान लिखने वाले लोगों में नहीं रहे

 

भारत का संविधान कैसे लिखा गया

भारत को आजादी के बाद एक संविधान की आवश्यकता पड़ने वाली थी तो ऐसे में संविधान सभा के सदस्यों ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे 1935 के भारत शासन अधिनियम को अपना आधार बनाते हुए हमारे भारत के संविधान को लिखना शुरू किया

इस दौरान भारत का संविधान लिखने वाले लोगों ने अन्य राष्ट्रों के संविधान को भी खंगाला और वहां से जो उपयुक्त बातें भारत के लिए अच्छी थी उन्हें भारत के संविधान में भी शामिल किया

उदाहरण के तौर पर हमने प्रस्तावना तथा नागरिकों को मिलने वाले मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से लिए हैं

तो वही नागरिकों के मौलिक कर्तव्य को रूस के संविधान से लिया गया है तो वही बात की जाए तो राज्य के नीति निदेशक तत्व को आयरलैंड के संविधान से ग्रहण किया गया है

हालांकि इस बात के लिए भारत के संविधान को लिखने वाले लोगों की आलोचना भी की जाती है और ऐसा कहा जाता है कि भारत का संविधान अन्य देशों के संविधान की फोटोकॉपी है या इसकी अन्य संविधान उसे नकल की गई है

परंतु भारत का संविधान लिखने वाले लोगों ने अन्य संविधान की बातों को हुबहू लिखने की बजाय उन में संशोधन करते हुए भारत के संविधान में शामिल किया

शुरुआती चरण के अनुसार भारत के संविधान में कुल 22 भाग एवं 8 अनुसूचियां हुआ करती थी एवं इसके साथ ही 395 अनुच्छेदों की एक श्रंखला भी थी जिन्हें की विभिन्न भागों में बांटा गया था !

परंतु आज अनुसूचियों की संख्या बढ़कर 12 हो चुकी है, वही अनुच्छेदों की संख्या बढ़कर भी लगभग 470 से 475 हो चुकी है

भारत का संविधान लागू होने के वक्त संपूर्ण अनुच्छेदों को लागू करने के बजाय कुछ विशिष्ट अनुच्छेदों को ही संपूर्ण भारत में लागू किया गया था परंतु धीरे-धीरे 1960 आते-आते इन सभी अनुच्छेदों को संपूर्ण भारत में लागू कर दिया गया

भारत का संविधान लिखने वाली संविधान सभा ने केवल मौखिक रूप से इस संविधान को बनाया था जबकि संविधान सभा के ही एक सदस्य प्रेम नारायण बिहारी रायजादा के द्वारा भारत के संविधान को लिखित रूप में उतारा गया था !

और इसे एक पुस्तक का स्वरूप देने का कार्य किया गया और वही इस कार्य के लिए उन्होंने एक भी रुपया फीस कि नहीं ली

 

संविधान लिखने में कितने अनुसूचित जाति एंव अनुसूचित जनजाति का समावेश था

भारत का संविधान लिखने वाला प्रत्येक व्यक्ति यह जानता था कि यदि भारत में एक सुदृढ़ संविधान लागू करना है तो समाज के हर तबके का प्रतिनिधित्व इस संविधान सभा में होना चाहिए

तब इसे देखते हुए कुछ प्रांतों में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर दिया गया ताकि उनका प्रतिनिधित्व भी इनके लोगों द्वारा किया जा

भारत के संविधान लिखने वाले कुल 299 लोगों में से संविधान सभा में 70 लोगों को बिना किसी निर्वाचन के मनोनीत किया गया था !

वहीं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 तो वहीं अनुसूचित जाति के सदस्यों की संख्या 26 हुआ करती थी

संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इन सभी सदस्यों का बढ़-चढ़कर समर्थन किया और इन सदस्यों द्वारा इन अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए जो भी मांगे की गई थी

उन्हें यथोचित रूप से भारत के संविधान में शामिल कराने का कार्य भी किया गया था इसी कारण से इन्हें दलितों का मसीहा या दलितों का भगवान भी कहा जाता है

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा ही संविधान सभा में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को आने वाले अगले 10 वर्षों के लिए आरक्षण देने की बात की गई थी ताकि समाज की मुख्यधारा में इनका विलय हो सके एवं इनके साथ हो रहे भेदभाव को मिटाया जा सके

हालांकि कुछ लोगों द्वारा उस समय संविधान सभा में इनके प्रतिनिधित्व को लेकर आलोचनाएं भी की गई थी परंतु इनकी भागीदारी के बिना इनसे संबंधित प्रावधानों को संविधान में शामिल करना असंभव था

 

FAQ : 

सवाल : संविधान कितने पेज का है

भारत का संविधान 251 पेज का है

सवाल : संविधान लिखने में कुल कितने लोग थे

भारत का संविधान एक संविधान सभा द्वारा लिखा गया था जिसमें की कुल 299 सदस्य उपस्थित थे

सवाल : संविधान लिखने वाले लोगों के अध्यक्ष कौन थे

संविधान लिखने वालों के समूह को संविधान सभा कहा जाता था और इसके अध्यक्ष भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे

सवाल : संविधान लिखने का वास्तविक श्रेय किसे जाता है

संविधान सभा के अलावा एक प्रारूप समिति भी काम करती थी जिसके अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर थे और इन्हें संविधान लिखने का वास्तविक श्रेय भी दिया जाता है

सवाल : क्या भारत का लिखित संविधान भी इन्हीं सदस्यों द्वारा लिखा गया था

भारत के संविधान को लिखने का कार्य और उसे एक पुस्तक का रूप देने का कार्य प्रेम बिहारी नारायण रायजादा थे जो कि स्वयं भी एक संविधान सभा के सदस्य रहे थे

सवाल : क्या Bharat का संविधान 26 जनवरी 1950 को बन कर तैयार हुआ था

नहीं ऐसा नहीं है, भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था जबकि 26 नवंबर 1949  यह बनकर तैयार हो गया था

सवाल : संविधान लिखने वाले लोगों को इसे लिखने में कितना समय लगा था

भारत का संविधान लिखने में संविधान सभा के सदस्यों को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था

 

Conclusion

आज हम ने जाना भारत का संविधान कितने लोगों ने लिखा था जिसमे हम ने पढ़ा Bharat का Samvidhan एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसे कई महान विचारकों ने एकत्रित किया और लिखा है।

यह एक समान मंडलीय दृष्टिकोण वाले संविधान है जिसमें विभिन्न सांसदों, राजनेताओं, समाजसेवियों, और विचारकों के योगदान शामिल हैं।

इसे लिखने की प्रक्रिया 1946 से 1950 तक चली जब भारतीय संविधान सभा में संविधान निर्माण के लिए चर्चाएं हुईं।

संविधान निर्माण के दौरान, ने संविधान के लिए कमेटी गठित की गई थी जिसमें डॉ. बी.आर.अम्बेडकर को अध्यक्षता मिली थी। इस कमेटी में अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए।

कुल मिलाकर, संविधान की रचना में करीब 300 से अधिक संविधान निर्माताओं, सदस्यों और विचारकों का योगदान हुआ।

इससे स्पष्ट होता है कि भारत का संविधान एक समृद्ध और विविधतापूर्ण मतभेदों के सम्मिश्रण का परिणाम है, जिसमें देश के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक संयुक्त दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।

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