Arjun Ke 10 Naam : आप सभी ने यदि महाभारत देखा है तो आपने अर्जुन का नाम जरूर सुना होगा जिसे की महाभारत का एक सबसे कुशल योद्धा और एक अहम पात्र भी माना जाता है
अर्जुन को अर्जुन नाम के अलावा कई सारे नामों से भी जाना जाता है जैसे कि पार्थ, गुडाकेश इत्यादि
अपने पांच पांडव भाइयों में अर्जुन से छोटे दो भाई सहदेव और नकुल थे तो वही अर्जुन से दो बड़े भाई युधिष्ठिर और महाबली भीम थे और इस प्रकार अर्जुन अपने पांचों भाइयों में मध्य का भाई थे, यानी कि उससे दो बड़े तथा दो छोटे भाई थे
आज के इस लेख में हम अर्जुन के प्रमुख अन्य नामों को देखने वाले हैं जिससे कि अर्जुन को जाना जाता है और साथ ही आज के हमारे इस लेख का मुख्य विषय अर्जुन के दस नाम कौन-कौन से हैं यह रहेगा
जब भी किसी व्यक्ति को कोई अन्य पर्यायवाची नाम दिया जाता है तो उस नाम के पीछे कोई ना कोई रहस्य जरूर होता है और यदि यही नाम प्राचीन काल से जुड़े हो तो उनके पीछे विभिन्न प्रकार की दंत कथाएं तथा वास्तविक कथाएं भी विद्यमान रहती हैं
आज के इस लेख में हम अर्जुन के उन दस नामों के बारे में जानने वाले हैं जिन्हे भी किसी ना किसी रहस्य से जुड़े हूए है और उनके पीछे भी कोई ना कोई कहानी जरूर छुपी हुई है
यदि आप भी अर्जुन के नाम और रोचक तथ्य के बारे में जानना चाहते है तो इस लेख को शुरवात से अंत तक जरूर पढ़े और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे !
Arjun Ke 10 Naam | अर्जुन के 10 नाम और उनका अर्थ
अर्जुन को कुछ नाम उसकी बुद्धि के लिए तो वही कुछ नाम उसके शौर्य पराक्रम के लिए दिए गए हैं, वहीं कुछ नाम अर्जुन के माता-पिता से संबंधित होने के कारण भी अर्जुन को प्रदान किए गए है
अर्जुन के यह सभी 10 नाम बहुत ज्यादा शुभ भी माने जाते हैं और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यदि किसी व्यवसाय या आवास का नाम इन सभी अर्जुन के नामों को आधार बनाकर रखा जाए तो उनमें हमेशा आमूलचूल वृद्धि तथा सुख और वैभव रहता है
अर्जुन को दिए गए 10 नाम निम्नलिखित हैं :
1. फाल्गुन |
2. किरीटी |
3. महाबाहो |
4. धनञ्जय |
5. पुरुषर्षभ |
6. कौन्तेय |
7. परन्तप |
8. पार्थ |
9. गुडाकेश |
10. कपिध्वज |
इन सभी नामों के अलावा अर्जुन को कुंती नरेश, कुंती कुमार तथा वीर भद्र पुरुष के नाम से भी जाना जाता है
हालांकि संपूर्ण महाभारत में अर्जुन को कुल मिलाकर 12 नामों से जाना जाता था
इस तरह अब हम ने महाभारत के अर्जुन के 10 नामों के बारे में जाना परन्तु इन सभी 10 नामों को प्रदान करने के पीछे क्या कारण रहे यह जानना भी बेहद जरूरी है
अर्जुन को पार्थ नाम क्यों दिया गया
अर्जुन को पार्थ नाम से श्रीकृष्ण पुकारा करते थे जो कि रिश्ते में उनके साले भी लगते थे और महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ही अर्जुन के सारथी बने थे
अपने इसी सारथी की बदौलत अर्जुन उस महाभारत रण को जीत पाए और हस्तिनापुर पर अपने सभी पांडव भाइयों का शासन स्थापित कर पाए
अर्जुन को पार्थ इसलिए कहा जाता है क्योंकि अर्जुन की मां अर्थात की कुंती का एक पर्यायवाची नाम पर्था भी था और इसी का पुत्र होने के कारण अर्जुन पार्थ कहलाया अर्थात की पर्था पुत्र पार्थ
यह कुंती श्री कृष्ण की बुआ भी लगती थी और उनके पिता वासुदेव की बहन भी थी !
अर्जुन को गुडाकेश क्यों कहा जाता है
अर्जुन को इस नाम से पुकारे जाने के पीछे जो दो मुख्य कारण मिलते हैं वे निम्नलिखित हैं :
- अर्जुन के बाल घुंघराले होने के कारण अर्जुन को गुडाकेश के नाम से जाना जाता है क्योंकि केश का अर्थ होता है बाल वही गुडा का अर्थ होता है घुंघराले
- क्योंकि अर्जुन का अपने सोने पर बहुत ज्यादा नियंत्रण था और बुद्धिमानी होने के कारण उसने अपनी निद्रा को अपने वश में कर लिया था जिस कारण भी इसे गुडाकेश के नाम से जाना जाता है
हालांकि अधिकतर पंडितों द्वारा इस दूसरे कथन का ही समर्थन किया जाता है की अपनी इंद्रियों पर एक प्रकार से विजय प्राप्त करने के कारण ही अर्जुन को गुडाकेश कहा गया है
क्योंकि अत्यधिक शयन भी व्यक्ति को आलसी बना देता है और उसे भोग विलास की जिंदगी जीने पर मजबूर कर देता है
अर्जुन को धनंजय क्यों कहा गया
अर्जुन ने जब हस्तिनापुर राज्य को जीतने के बाद एक राजसुय यज्ञ का आयोजन करवाया तो अपने राज्य की उत्तरी दिशा में स्थित सभी राजाओं को अपनी अधीनता स्वीकार करने का न्योता भेजा
क्योंकि इस यज्ञ के द्वारा अर्जुन अपने सभी पड़ोसी राज्यों को अपने राज्य में मिलाना चाहते थे
जब उन राज्यों ने अर्जुन की बात नहीं मानी तो अर्जुन ने युद्ध द्वारा उन सभी राज्यों को जीत लिया और वहां से अत्यधिक मात्रा में सोना चांदी और विभिन्न प्रकार के जेवरातो को अपने साथ लेकर आये
इसी कारण से अर्जुन को धनंजय नाम दिया गया अर्थात की बहुत अधिक धन को संचित करने वाला और जीतने वाला
अर्जुन को कौन्तेय नाम क्यों दिया गया
आप सभी ने महाभारत में अर्जुन को इसी नाम से पुकारते हुए सुना होगा कि “है कौन्तेय पुत्र अर्जुन आपका इस हस्तिनापुर राज्य में स्वागत है”
अपनी माता कुंती का पुत्र होने के कारण ही अर्जुन को यह नाम दिया गया था और यह अर्जुन को अपनी माता के नाम से मिला हुआ दूसरा नाम था ! क्योंकि अर्जुन को उसकी माता के एक अन्य नाम से पार्थ नाम भी मिला था
इस प्रकार से अर्जुन को अपनी माता से 2 नाम पार्थ और कौन्तेय मिले.
अर्जुन को फाल्गुन का नाम क्यों मिला
कुछ हिंदू पौराणिक कथाओं में यह जानकारी मिलती हैं कि अर्जुन इंद्र के पुत्र थे और इंद्र के पर्यायवाची के रूप में फाल्गुन का महीना भी माना जाता है इसी कारण से अर्जुन को फाल्गुन नाम दिया गया
इंद्र का पर्यायवाची फाल्गुन और इंद्र का पुत्र होने के कारण अर्जुन को फाल्गुन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है
अर्जुन को कपि ध्वज क्यों कहा गया
जैसा कि हमने महाभारत में बहुत सारे स्थानों पर हनुमान जी के बारे में सुना है और विभिन्न प्रकार के ग्रंथों में भी इसका जिक्र मिलता है
क्योंकि जब महाभारत के रण में अर्जुन श्री कृष्ण को अपना सारथी बना कर साथ लेकर गए थे तो उसी रथ की भगवा ध्वजा पर हनुमान जी सदैव रहते थे और उस महाभारत के युद्ध में अर्जुन का साथ अन्य रूप से प्रधन कराते थे
इस प्रकार हनुमान जी का आशीर्वाद तथा उनका साथ अर्जुन के साथ रहने के कारण ही अर्जुन को इस नाम अर्थात की कपिध्वज के नाम से जाना जाता है
इसके अलावा कुछ विशेषज्ञ के अनुसार अर्जुन को कपि ध्वज इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने महाभारत के युद्ध में अपने धर्मभाव और युद्धकुशलता के लिए महामारी का विनाश किया था।
इसके अलावा, अर्जुन को हनुमान के समान महाबली और पराक्रमी माना जाता है, जिसके कारण उन्हें “कपि ध्वज” कहा जाता है।
अर्जुन को महाबाहो क्यों कहा गया
महाभारत के रचयिता वेदव्यास द्वारा यह लिखा गया है कि अर्जुन जैसा योद्धा ना तो कभी इस धरती पर पैदा हुआ है और ना ही कभी पैदा होगा क्योंकि शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से श्रेष्ठ होना किसी भी सामान्य मानव के लिए सामान्य बात नहीं है
अपनी दोनों भुजाओं से महाभारत के युद्ध में जिस प्रकार से अर्जुन ने शौर्य ता दिखाई मानो ऐसा लग रहा था कि अर्जुन के पास हजारों भुजाएं हैं और इसी वक्तव्य के कारण अर्जुन को यह नाम महाबाहो मिला है
यानी कि जिसके पास महाबली बुजाये स्थित हो !
अर्जुन को किरीटी क्यों कहा गया
अर्जुन इंद्र के पुत्र थे और इंद्र भी अर्जुन से बेहद ज्यादा प्रेम करते थे और जब इंद्र को यह महसूस हुआ कि पृथ्वी लोक पर असुरों का शासन बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो उन्होंने अपने पुत्र अर्जुन को एक मुकुट पहना कर इन सभी दानवो को इस धरती से मिटाने के लिए कहा
और जैसा कि हम जानते हैं मुकुट का पर्यायवाची किरीट ही होता है इसी कारण अर्जुन को आगे चलकर एक अन्य नाम किरीटी मिला
अर्जुन को पुरुष वृषभ नाम क्यों दिया गया
जिस प्रकार से ऋषभ का अर्थ श्रेष्ठता होता है वही वृषभ का अर्थ बैल होता है
यह दोनों ही शब्द मानसिक रूप से श्रेष्ठ होने के साथ-सथ ही शारीरिक रूप से श्रेष्ठ होने के परिचायक भी हैं और अर्जुन इन दोनों ही रूपों में सर्वश्रेष्ठ था इसी कारण अर्जुन को पुरुष ऋषभ या पुरुष वृषभ नाम दिया गया
अर्जुन को परंतप नाम क्यों दिया गया
अर्जुन शुरुआत से ही शौर्यता से भरे एक योद्धा रहे हैं और अपनी इसी वीरता के कारण वे सदैव शत्रु को ताप पहुंचाते रहते थे अर्थात की सदैव ही शत्रु का विनाश करते रहते थे
इसी कारण शत्रुओं को ताप और कष्ट पहुंचाने के कारण ही अर्जुन को परंतप भी कहा जाता है
FAQ :
सवाल : अर्जुन का सबसे पहला नाम क्या मिलता है?
महाभारत में अर्जुन का सबसे पहला नाम कुंती पुत्र मिलता है
सवाल : अर्जुन को अपनी माता से कौन से दो नाम मिले?
अर्जुन को अपनी माता से पार्थ और कुंती पुत्र नाम मिले
सवाल : अर्जुन किसके पुत्र माने जाते हैं?
अर्जुन को पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्र का पुत्र भी माना जाता है
सवाल : अर्जुन को इंद्र का पुत्र होने के कारण कौन सा नाम मिला?
अर्जुन को इंद्र का पुत्र होने के कारण फाल्गुन नाम मिला
सवाल : अपने शत्रुओं को कष्ट पहुंचाने के कारण अर्जुन को कौन सा नाम प्राप्त हुआ?
अर्जुन को शत्रुओं का नाश करने के कारण परंतप नाम प्राप्त हुआ
Conclusion
आज के लेख में हम ने Arjun Ke 10 Naam के बारे में विस्तार में जाना और समझा की महाभारत के सबसे कुशल योद्धा और एक अहम पात्र अर्जुन को 10 नाम से क्यों पुकारा जाता था !
वही हम ने इन सभी नामों का मतलब और रहस्य जानने की कोशिश की और उम्मीद करते है आप को भी यह जानकारी पसंत आयी होगी !
यदि आप को यह लेख पसंत आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ” ना ! भूले इसके अलावा यदि आप के मन में इस विषय को लेकर कोई भी सवाल होगा तो आप निचे कमेंट में पूछ सकते है जिसका जवाब देने की हम जरूर कोशिश करेंगे
इस लेख को शुरवात से अंत तक पढ़ने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद !